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बेबाक राय : ब्लॉगर आकांक्षा सक्सेना





बेबाक राय :

केवल फिल्मों पर ही हंगामा क्यों ?
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आज कल टीवी, न्यूजपेपर, मैग्जीन और सोसलमीडिया में सभी पर फिल्मों पर हंगामा, तोडफोड़ की खबरें बड़ी प्रमुखता से दिखाई जा रही है और बड़ी - बड़ी डिबेट भी दिखाई जा रही है और इन हंगामों व खबरों का असर भी हुआ है कि उन फिल्मों पर बेन तक लगा दिया गया | हाँ ये बिल्कुल सही है कि हमारा देश ममता,हिम्मत और लाज जैसे नैतिकगुणमूल्यों के लिये जाना जाता है | अत: अनैतिकता बर्दास्त नही होनी चाहिये पर सारा गुस्सा फिल्मों पर ही क्यों? क्या सिर्फ फिल्में ही अश्लीलता परोस रही हैं ? आज जो समाज वासना की चकाचौंध में डूबता जा रहा है क्या उसकी दोषी ये फिल्में हैं ? आज जो देश तनाव के इंडेक्स में शिखर पर पहुंच रहा है और शिक्षा, विकास, शोध में पिछड़ रहा है क्या उसकी भी दोषी यह फिल्में हैं ? ऐसा नही है एक कड़वा सच यह भी है कि आज देश की कुछ अश्लील पत्रिकाओं ने फिल्मों तक को बहुत पीछे छोड़ दिया | अफसोस! जिनपर न ही कोई सैंसर बोर्ड है और न ही बेन का प्रावधान | विडम्बना यह है कि देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली मैग्जीन यही अश्लील मैग्जीनें ही
है | हम उन मैग्जीनों के नाम का उल्लेख करके उनकी पब्लीसिटी नही करना चाहते | दोस्तों! अश्लील मैग्जीन का यह गंदा युवाओं को पथभ्रष्ट कर देने वाला काला कारोबार करोड़ों का हैं जो लगभग हर घर को अपना शिकार बना चुका है |यह पैसा और रसूख की ऊँची पहुंच के चलते यह सोच को प्रदूशित और रिश्तों को खोखला और गंदा कर देने वाला यह अश्लील जहर/वायरस शब्दों में घोलकर पूरे राष्ट्र को अश्लीलता की चपैट में लेने के घातक मंसूबों के चलते अपनी काली और भ्रष्ट योजना में फल-फूल रहा हैं | विड्म्ना  यह है कि देखकर भी सब भले लोग चुप हैं और गलत लोग गलत कार्य से कामयाब हैं | हम पूछना चाहते हैं कि गलत कार्य का लाईसैंस दिया ही क्यों जाता है और देने के बाद फिर आँखें क्यूँ मूँद ली जाती हैं | हमारे देश में आज हजारों एनजीओ आज गलत कार्य कर रहे हैं , बच्चों का कारोबार कर रहे हैं | न्यूज में देखते हैं कि एनजीओ ने बच्चा बेच दिया | आज हर संस्था को रजि. आसानी से मिल जाता है पर रजि. देने के बाद उनपर नज़र रखने वाला कोई नही कि एनजीओ की आड़ में हो क्या रहा है ? न ही किसी की जिम्मेदारी है और न ही किसी की जवाबदेही | जनता भी हंगामा नही मचाती कि इनका रजि. निरस्त कर दिया जाये | जनता कभी हंगामा नही करती कि इन अश्लील मैग्जीनों/साईट्स पर बेन लगाओ | सड़प पर शर्दियों की रात में बीमार लाचार बुुजुर्ग महिला का बलात्कार हो गया | शहर में पांच साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं और देश के लगभग दो घर छोड़ कर हर घर में दह़ेजपीड़ित बेटियाँ समाज का जहर पीकर घुट-घुट कर जी रही हैं और न जाने कितनी महिलायें नित घरेलू हिंसा झेल रही हैं| आज प्राईवेट सेक्टर हो या सरकारी क्षेत्र में 70% महिला शोषण का शिकार हैं | आज हमारे देश में लगभग सभी गाँवों में अशिक्षित ढ़ोगीं झोलाछाप डाक्टर अपनी महत्वाकांक्षापूर्ति हेतु गरीब अशिक्षित भोले ग्रामीणों को मौत के मुँह में ढ़केल रहे हैं | स्कूल कॉलेजों में छात्रायें गर्भवती हो रही हैं | स्कूल कॉलेजों के ब्लैकबोर्ड खाली और वॉशरूम अश्लीलता से पटे पड़े हैं | आज यूनीवर्सिटियाँ में भी जबरजस्त नारेबाजी और चुनावी गंध आती दिखेगी आपको | जब देखो तब चुनाव इसका असर कुछ ऐसा है कि आज हर कोई नेता बनने को आमादा है और राजनीति हथकंड़ों में फंसकर अपना और सभी का कैरियर खतरे में डालने को आमादा है | सरकारी इंटर कॉलेज के लेक्चरॉर और  प्रोफेसर  सरकार से मोटी सैलरी के साथ - साथ प्रेक्टिकल में नम्बर बढ़ौतरी का लालच देकर बड़ी-बड़ी कोचिंग चला कर जबरन छात्रों से धनउगाही कर रहे हैं यहां तक की शोषण तक करने से बाज नही आते | आज सच लिखने वाले पत्रकारों की हत्या हो रही है | देशी शराब और देशी कट्टे भारी मात्रा में बन और बिक रहे हैं | बाजार में मिलावट के जहर से उपभोक्ताओं का शोषण हो रहा है | कभी बाईक का लाईसैंस बनवाने जाओ तब पता चलता है कि दलालों के भरोसे काम हो रहा है | आज भी हर जिले के जिले बनने के मानक पूरे नही है | आज भी देश में पॉलीथीन बेन नही हो सकी | आज देश में नैतिक शिक्षा, एनसीसी, एनएसएस अनिवार्य नही हो सकी | देखने वाली बात यह है कि बलात्कार के दोषी ढ़ोगी रामरहीम को लाईफ बेन नही हो सकी उसे फाँसी नही मिल सकी | देश सड़कों पर उतर आता कि इसे फाँसी दो पर ऐसा नही हुआ | हर विभाग में बुरा हाल मचा है | हालत यह है कि देश के बारह करोड़ युवा आज बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं | देश की सड़कें गड्ढ़ों का रूप ले चुकी हैं | आज देखो आप लोग कि एक अशिक्षित व्यक्ति सभासदी, नगर पालिका का चुनाव लड़ रहे हैं | क्यों बेन नही लगता कि अशिक्षित व्यक्ति चुनाव नही लड़ सकता ? चुनाव प्रतिभागियों की भी प्री मैन्स परीक्षा और इंटरव्यू क्यों नही होता? क्यूँ बेन नही लगता उन लोगों पर जो अपने बुजुर्ग माँ-बाप को बृद्धाश्रम या सड़कों पर भटकने को छोड़ देते हैं ? क्यूँ बेन नही लगता उन दहेज के  लोभियों पर जो अपनी पुत्रबधुओं को जिंदा जला देते हैं या घर से निकाल देते हैं ? ऐसे कलयुगी लोगों को शादी-पार्टी और सोसायटी में हमेशा के लिये बेन क्यूँ नही कर दिया जाता ? क्यूँ हंगामा नही होता कि हमारे देश के महानदेशभक्त भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत का राज क्या है?आखिर! क्या हुआ उनके साथ? किसने की साजिश? क्यों नही आवाज उठती कि बताओ हमारे बोस कहाँ है? देश का बुंदेलखण्ड राज्य गरीबी, पलायन और प्यास से तड़प रहा है  पर अफसोस ! इन सब सच्चे मुद्दों पर न तो टीवी पर डिबेट होती है और न ही लोग सड़कों पर आकर हंगामा करते हैं | जबकि हर गलत चीज के खिलाफ हंगामा जरूरी है | जब हम फिल्मों के खिलाफ सड़क पर उतर रहे हैं तो हर गलत कार्य के खिलाफ भी उसी तरह सड़कों पर उतरिये तभी हम देश को स्वच्छ, सुखी, सृमद्ध और उन्नत बनाने में सफल होगें | दु:ख इस बात का है कि देश में लाखों जनसेवकों और अधिकारियों के चलते आमजनता को अपना काम छोड़कर गलत के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ता है तब कहीं जाकर कुछ लोगों की नींद टूटती है जोकि सब देखने सुनने के बावजूद जानबूझ कर आँखें मूँदें बैठें हैं |


आकांक्षा सक्सेना 
ब्लॉगर 'समाज और हम'

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..🙏ससम्मान धन्यवाद🙏....



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