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गाँधी जी की मौत पर होने जा रहा है बड़ा खुलासा....





"अभिनवभारत संस्था की सराहनीय पहल"

गाँधी जी की हत्या की पुन: जाँच एक

महत्वपूर्ण कदम :


30 जनवरी सन् 1948 को प्रार्थना सभा में महात्मा गाँधी जी की तीन गोलियाँ मार कर हत्या कर दी गयी थी | इस मामले में नाथूराम गोडसे व नारायण आपटे को फाँसी की सजा के फैसले के विरूद्ध अपील पूर्वी पंजाब हाईकोर्ट में सन् 1949 में खारिज कर दी थी | प्रिरवी काउंसिल ने मामला यह कह कर वापस कर दिया कि जनवरी सन् 1950 में सर्वोच्च न्यायालय बन गया है जिसने कभी भी इस मामले की सुनवाई नही  की | 
  " अभिनव भारत संस्था,मुम्बई ' के शोधकर्ता एवं ट्रस्टी मुम्बई निवाशी श्री पंकज फड़नीस जी ने बोम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुये महात्मा गाँधी जी की हत्या की पुन: जाँच करवायी जाने हेतु एक याचिका माननीय सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल कर कहा है कि इस सम्बंध में अमेरिका के पास काफी गोपनीय जानकारी है जिसे वे समय पर बतौर सबूत व दस्तावेज पेश करेगें |मा. सर्वोच्च न्यायालय ने इस याचिका के विश्लेषण हेतु अपना सहायक श्री अमरेन्द्रशरण एडवोकेट को नियुक्त किया है और कहा है कि इस मामले की सुनवायी कानून के मुताबिक की जायेगी | इस मामले की सुनाई की तारीख 30' जनवरी 2018 निर्धारित की है|
   श्री पंकज फड़नीस ने कहा है कि नाथूराम गोडसे व नारायण आपटे को फाँसी की सजा हुई थी | इन दोनों दोषियों के अतिरिक्त कोई तीसरा दोषी भी हो सकता है एवं कोई संस्था भी हो सकती है | भले ही वह तीसरा दोषी वर्तमान में जीवित ना हो और भले ही ट्रायल में संस्था को सजा ना दी जा सकती हो | 
    श्री पंकज फड़नीस का यह सराहनीय कदम है | जिस हथियार से महात्मा गाँधी जी को तीन गोलियाँ मार कर हत्या की गयी है, उस हथियार का कोई तो लाईसैंसधारक एवं दस्तावेजी क्रेता मालिक होगा और उस हथियार का कोई तो दस्तावेजी विक्रेता होगा | क्या उस हथियार के लाईसैंसधारक एवं दस्तावेजी क्रेता मालिक को भी फाँसी की सजा हुई है यदि नही तो क्यों? और उन दोनों को ही क्यों? तथा वह तीसरा आरोपी कौन? देश की जनता के समक्ष यह पर्दाफाश होना वाकयी महत्वपूर्ण है जिससे कि गाँधी जी की हत्या के साथ उनके समकालीन तथा उनके पूर्व एवं पश्चात् के महान स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रान्तिकारियों की हत्याओं के षडयंत्र का भी पर्दाफाश हो सके कि यह हत्यायें किसने व किस संस्था ने किस मकसद से करवायीं हैं | 
      सच तो यह है कि इस देश की जनता को सरकारी राजनैतिक समाज व उसके मुखिया की जरूरत ही नही है क्योंकि राजनीति ही हैवानियत को जन्म देती 
है |
  बल्कि इस देश की जनता को अपने सर्वोच्च मुख्य न्यायाधीश के सर्वोच्च मुख्य सहायक न्यायाधीश की जरूरत है क्योंकि बिना श्री कृष्णराज के श्री रामराज की पुनर्स्थापना सम्भव नही | 


आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'

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