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जरूरत है प्रत्येक भारतीय को अब पुख्ता साक्ष्य की :





प्रत्येक भारतीय को प्राप्त हो भारतीय नागरिक होने की पहिचान का "भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र"

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प्रत्येक भारतीय के लिये अनिवार्य, परमावश्यक एवं महत्वपूर्ण है अपने भारतीय नागरिक होने की पहिचान का अभिलेखीय साक्ष्य "भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र" | जिस प्रकार आत्मा के बिना शरीर बेकार, अनावश्यक एवं महत्वहीन है| उसी प्रकार भारतीय नागरिकता के बिना प्रत्येक भारतीय बेकार,अनावश्यक एवं महत्वहीन है | इसलिये चाहिये  प्रत्येक भारतीय को अपने भारतीय नागरिक होने की पहिचान का "भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र" | इसी अभिलेखीय साक्ष्य को पाने के लिये प्रत्येक भारतीय शदियों से संघर्ष करता चला आ रहा है | इस अभिलेखीय साक्ष्य की कमी का दुष्परिणाम प्रत्येक भारतीय शदियों से भोगता चला आ रहा है |
   काश! यह अभिलेखीय साक्ष्य सीताजी के पास होता तो उनकी नागरिकता को लेकर  राम और रावण के बीच महायुद्ध न होता | रावण ने और समाज ने हमेशा उंगली उठायी कि सीता माँ भूमिजा कैसे ? काश! यह अभिलेखीय साक्ष्य द्रोपदीजी के पास होता तो उनकी नागरिकता को लेकर पाण्डवों व कौरवों के बीच महाभारतयुद्ध न होता | कौरवों ने हमेशा हंसी उड़ायी कि द्रोपदी अग्नि से कैसे प्रकट ? पाण्डवों तुम पाण्डु की नही देवताओं की संताने हो ?कौन हो कहाँ से आये ? काश! यह अभिलेखीय साक्ष्य सभी भारतीयों के पास होता तो कोई भी भारतीय अपनी नागरिकता को लेकर स्वदेशी सत्तासीनों एवं विदेशी सत्तासीनों, डचों, पुर्तगालियों, यूनानियों, अपना साम्राज्य विस्तारवादी आक्रमणकारी मुसलमानों एवं ब्रिटिश के अंग्रेजों का गुलाम न होता | 
 नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी ने कहा था कि भारत में वही रह सकता है जिसके पास भारतीय नागरिक होने की पहिचान का "भारतीय  नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र" है|
उन्होनें अंग्रेजों से कहा था कि अंग्रजों! भारत छोड़ो | क्योंकि तुम लोग भारतीय नागरिक ही नही हो | तुम्हारे पास भारतीय नागरिक होने की पहिचान का अभिलेखीय साक्ष्य "भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र" ही नही है | यदि तुम लोगों ने भारत न छोड़ा तो हमारी आजादहिंद फौज तुम लोगों को भारत के अंदर ही जान से मार देगी | मैने तुम लोगों के भारत से भागने के जल एवं वायु मार्ग अवरूद्ध कर दिये हैं तुम लोग सिर्फ थल मार्ग से भारत छोड़ कर भाग सकते हो | अपनी न्यायिक कमजोरी व मजबूरी समझ कर अपनी जान को पैदा हुये खतरे को भांप कर आनन-फानन में अंग्रेजों ने भारत छोड़ दिया था और वे अपने राष्ट्र ब्रिटिश वापस चले गये थे | 15अगस्त सन्1942 को सिंगापुर में भारत की स्वतंत्रता, आजादी व मुक्तता का तिरंगा आजादहिंद फौज व उसके सेनापति नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी ने लहरा दिया था |
काश ! वैरिस्टर मोहनदास करमचन्द्र गांधी एवं वैरिस्टर जवाहरलाल नेहरू आई.सी.एस. अॉफीसर नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस के बाधक न बनते तो भारत में मौजूद अन्य विदेशी लोग भी अपने राष्ट्र वापस चले जाते |
इस आर्यावर्त हिन्दुस्तान के हस्तिनापुर के चक्रवर्ती सूर्यवंशी सम्राट राजादुष्यन्त व उनकी पत्नि रानी शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर यह राष्ट्र  'भारत' कहलाया व उनके हिन्दु अनुयायी भारतीय कहलाये |
         भारतीयों के विवाह, जन्म व मृत्यु के पंजीकरण, बीमाकरण व लाईसैंसीकरण के अधिनियमों के तहत संचालित भारतीयों के सर्वोच्च निर्णीत प्रमाणित व सत्यापित जीवन के अभिलेखीय पहिचान के अभिलेखानुसार पंजीकृत वैधानिक, बीमाकृत संवैधानिक व लाईसैंसीकृत कानूनी - भारतीय उत्तराधिकारित, राष्ट्रीय मानवाधिकारित एवं भारतीय सर्वोच्चनिर्णीत प्रमाणित व सत्यापितरूप से भारत में विवाहित, जन्में व मृतक अपने लिंग व आयु के स्त्री, पुरूष व किन्नर भारतीय नागरिक कहलाये |
         यदि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेताजी श्रीसुभाषचन्द्र बोस जी होते तो उनकी फॉरवर्डब्लॉक पार्टी की भारत के केन्द्र व सभी राज्यों में सरकार होती तो वह भारतीय विधान ,संविधान एवं कानून तथा इनके सभी नियमों एवं अधिनियमों में भारतीय नागरिक की परिभाषा अनिवार्तय एवं परमावश्यक रूप से दर्ज करवाते और  नेताजी  प्रत्येक भारतीय को इतना सक्षम बनाते कि प्रत्येक भारतीय अपने जीवन, जीविका, पैंसन, बुनियादी सेवाओं एवं सुविधाओं का समान निर्धारित वैधानिक पंजीकरण राजस्वकर, संवैधानिक बीमाकरण वित्तकर एवं कानूनी लाईसैंसीकरण आयकर भारत के राजकोष, वित्तकोष व आयकोष में अनिवार्य एवं परमावश्यकरूप से जमा करने में सक्षम होता और राष्ट्रीय मानव संसाधन मजबूत होता | तब भारत का प्रत्येक भारतीय इतना सक्षम होता कि तब उसकी स्थानीय पंचायत में प्रत्येक विवाहित, जन्में व मृतक स्त्री, पुरूष व किन्नर भारतीय के विवाह, जन्म व मृत्यु का समाननिर्धारित वैधानिक पंजीकरण राजस्वकर, संवैधानिक बीमाकरण वित्तकर एवं कानूनी लाईसैंसीकरण आयकर तीनों प्रकार के जीवन का तीनों प्रकार का बतौर बकाया टैक्स कालाधन जमा होकर भारत के तीनों कोषों राजकोष, वित्तकोष एवं आयकोष में अनिवार्य एवं परमावश्यकरूप से जमा होता |
       तब, प्रत्येक विवाहित, जन्में व मृतक स्त्री, पुरूष व किन्नर भारतीय को अपने भारत में विवाहित होने, पैदा होने व मृतक होने एवं भारतीय नागरिक होने की अभिलेखीय पहिचान का पंजीकृत वैधानिक, बीमाकृत संवैधानिक व लाईसैंसीकृत कानूनी- भारतीय उत्तराधिकारित, राष्ट्रीय मानवाधिकारित एवं भारतीय सर्वोच्चनिर्णीत प्रमाणित व सत्यापित अनिवार्य, परमावश्यक एवं महत्वपूर्ण अभिलेखीय साक्ष्य "भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र" स्वत: ही उसको अनिवार्य एवं परमावश्यकरूप से प्राप्त होता |
           तब, इस अभिलेखीय साक्ष्य अनुसार ही भारतीय नागरिकों के पहिचान के सभी प्रकार के राजनीतिकसमाजी सरकारी व मतकारी, आर्थिकसमाजी अर्द्धसरकारी व कर्मचारी एवं सामाजिकसमाजी निजीकारी व श्रमकारी अभिलेखों का गठन होता |
           तब, प्रत्येक भारतीय नागरिक को अपने सृजनशील एवं विकासशील जीवन के उद्देश्य को पूरा किये जाने हेतु बिना किसी बाधा के अपनी इच्छा, शिक्षा व योग्यतानुसार समान राजनीतिकसमाजी सरकारी व मतकारी ,आर्थिकसमाजी अर्द्धसरकारी व कर्मचारी एवं सामाजिकसमाजी निजीकारी व श्रमकारी  आजीविका, पैंसन एवं बुनियादी सेवायें व सुविधायें अत्यआधुनिक,  निर्विवादित एवं निर्वाधित रूप से अनिवार्य एवं परमावश्यकरूप से प्राप्त होती |
         तब, प्रत्येक भारतीय नागरिक अपने पंजीकृत वैधानिक स्वतंत्र आदर्शगौरवशाली आनंदवादी स्मृद्धिशाली भारतीय राजनीतिक समाज का, बीमाकृत संवैधानिक आजाद महान प्रतिभाशाली शिष्टाचारी वैभवशाली भारतीय आर्थिकसमाज का एवं लाईसैंसीकृत कानूनी मुक्त महानतम् मर्यादाशाली सदाचारी अनुसाशित संगठित विकासशील अत्यआधुनिक विश्वविजयी सैन्यशक्तिशाली भारतीय सामाजिक समाज का स्वत: ही अनिवार्य , परमावश्यक एवं महत्वपूर्ण सदस्य होता|
        तब, यह राष्ट्र अखण्ड़ भारत, विश्वगुरू एवं विश्व का सर्वोच्च सर्वश्रैष्ठ सर्वोत्तम आकर्षक पर्यटन स्थल होता |
         तब, प्रत्येक भारतीय नागरिक का जीवन, जीविका , पैंसन , बुनियादी सेवायें व सुविधायें तथा उसकी अनमोल सम्पदा रियासत, अनमोल धरोहर विरासत एवं अनमोल सम्पत्ति मिलकियत टैक्सपैड, निर्विवादित एवं निर्वाधित होता और तब सभी भारतीय नागिकों का साथ व उनका सृजनशील विकास स्वत: ही होता और तब प्रत्येक भारतीय नागरिक स्वंय में नेक इंसान व एक भगवान होता हैऔर महिला सशक्तिकरण स्वत: ही होता |
         काश ! यह सबकुछ तब सम्भव होता जब प्रत्येक भारतीय अपनी भारतीय नागरिकता के प्रति जागरूक होता |
          अत:, वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रनाथ दामोदरदास मोदी जी को चाहिये कि वे राष्ट्रीय मानव संसाधनों को एवं सभी भारतीयों को इतना सक्षम बनायें कि प्रत्येक भारतीय अपने जीवन, जीविका एवं पैंसन व बुनियादी सेवाओं व सुविधाओं का समान निर्धारित टैक्स  भारत के तीनों कोषों में जमा करने के लिये सक्षम हो सके जिससे कि उसे अपने भारतीय नागरिक होने की पहिचान का "भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र" प्राप्त हो सके |आज इसी अभिलेखीय साक्ष्य की जरूरत है जिससे कि प्रत्येक भारतीय सक्षम एवं सभ्य भारतीय नागरिक हो सके  और  नेताजी श्री सुभाषचन्द्र बोस जी की तथा प्रत्येक भारतीय की यह आकांक्षा पूर्ण हो सके |
           अत: वर्तमान भारत सरकार को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी को भारतीय विधान, संविधान एवं कानून तथा इनके सभी नियमों एवं अधिनियमों के प्रस्तावना में "भारतीय नागरिक" की उपरोक्त परिभाषा तथा "हम भारत के लोग" के स्थान पर "हम भारत के नागरिक" अर्थात् भारतीय नागरिक दर्ज करवाना चाहिये जिससे कि प्रत्येक भारतीय को भारतीय नागरिक होने की अभिलेखीय  पहिचान का "भारतीय नागरिकता का पहिचानपत्र एवं प्रमाणपत्र" प्राप्त होता रह सके |

विशेष बिन्दु :

जैसे एक गाड़ी की ,रजिस्ट्रेशन, इश्योरेंस, लाईसैंस जरूरी है वरना गाड़ी लावारिस है ठीक उसी प्रकार प्रत्येक भारतीय व्यक्ति के तीनों प्रकार के जीवनरूपी गाड़ी के यही तीन कागज जरूरी है तो तीनो प्रकार के जीवन वारिस है उसी प्रकार जीवनरूपी गाडी भी रजिस्टर्ड , इंश्योर्ड एवं लाईसैंसीफाइड होनी चाहिये वरना तीनों प्रकार के जीवन (वैवाहित,जन्में एवं मृतक)  की तीनों प्रकार की यह लावारसी (वैधानिक,संवैधानिक,कानूनी) जारी रहेगी और इस दस्तावेजी लावारसी के कारण प्रतिवर्ष देश से कितने बच्चों की तस्करी होती है औरफिर बिना सबूत के पीड़ित को न्याय मिलना असम्भव हो जाता है |
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भारत सरकार से मिला फोटो पहिचान पत्र फोटो का सबूत जिसमें फोटो भी साफ नही और आधारकार्ड पर साफ लिखा है कि यह नागरिकता का प्रमाण नही है |  तो फिर प्रत्येक भारतीय को उसके जीवन की अभिलेखीय पहिचान
( नागरिकता) का प्रमाणपत्र व पहिचानपत्र प्रत्येक भारतीय को क्यों नही दिया गया ?
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आकांक्षा सक्सेना
ब्लॉगर 'समाज और हम'





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